Menu

इतनी जल्दी खुल गई ‘महागठबंधन’ की गांठ..?

Nitish & Lalu

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब लालू ने कहा था कि नीतीश बिहार में शासन चलाएंगे और वे खुद महागठबंधन की ‘मशाल’ लेकर देश भर में घूमेंगे। महागठबंधन के ‘भीतर’ और ‘बाहर’ “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे” का माहौल दिख रहा था। पर ये क्या बिहार का बॉर्डर पार कर यूपी पहुँचते-पहुँचते उस ‘मशाल’ की लौ धीमी पड़ गई। अब ख़बर ये आ रही है कि यूपी चुनाव में ‘बड़े भाई’ और ‘छोटे भाई’ की राह अलग-अलग होगी। इस बात का संकेत और किसी ने नहीं स्वयं जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने दिया है।

मंगलवार को वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि बिहार जैसा महागठबंधन उत्तर प्रदेश में भी बने, ऐसा जरूरी नहीं है। उन्होंने बताया कि यूपी के कई दलों ने नीतीश कुमार से सम्पर्क किया है। पार्टी की सोच है कि वहाँ नीतीश कुमार के ‘नेतृत्व’ में महागठबंधन बने। इस बाबत कई सामाजिक संगठन भी सम्पर्क में हैं। सिंह ने कहा कि यूपी में हमारा ‘हस्तक्षेप’ होगा। हम वहाँ चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे। आने वाले दिनों में नीतीश कुमार वहाँ राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वैसे बता दें कि नीतीश कल भी गाजीपुर के एक कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

यूपी चुनाव को लेकर जेडीयू का ये स्टैंड अकारण नहीं है। सूत्रों के अनुसार आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बीच पारिवारिक रिश्ता होने के कारण इस बात की प्रबल सम्भावना है कि आरजेडी यूपी में समाजवादी पार्टी के खिलाफ सक्रिय नहीं होगी। दूसरी ओर, बिहार चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन से सपा के अलग हो जाने के कारण जेडीयू मुलायम के साथ किसी भी प्रकार के राजनीतिक तालमेल के पक्ष में नहीं है।

जेडीयू ने यूपी में अपनी जमीन तलाशने को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और प्रधान महासचिव केसी त्यागी पहले से ही ‘मिशन यूपी’ पर थे। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद यूपी की किलेबंदी की कवायद में कूद पड़े हैं। नीतीश अभी दिल्ली प्रवास पर हैं और बताया जा रहा है कि इस प्रवास का मूल उद्देश्य यूपी चुनाव से जुड़ी सम्भावनाओं पर काम करना है। उनकी मुलाकात पूर्वी उत्तर प्रदेश में मजबूत पकड़ रखने वाली ‘पीस पार्टी’ के नेता अय्यूब अंसारी और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह से तय है। इसके अतिरिक्त जेडीयू ‘अपना दल’ के सम्पर्क में भी है।

ये तो हुई ‘बड़े भाई’ और ‘छोटे भाई’ की पार्टियों की बात। यूपी चुनाव को लेकर बिहार के महागठबंधन में शामिल तीसरी पार्टी कांग्रेस का रुख देखना भी कम दिलचस्प नहीं होगा। फिलहाल कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वैसे असम में नीतीश कांग्रेस को आगे कर जिस तरह ‘भाजपाविरोधी’ महागठबंधन की कोशिश में लगे हुए हैं उसे देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यूपी में भी नीतीश के प्रस्तावित महागठबंधन से देर-सबेर कांग्रेस का ‘जुड़ाव’ हो जाय। ऐसे में सबकी निगाह ‘अकेली’ पड़ गई आरजेडी की प्रतिक्रिया पर होगी और साथ में इस पर भी कि क्या उस ‘प्रतिक्रिया’ का बिहार पर भी कोई ‘असर’ होगा..?

मधेपुरा अबतक के लिए डॉ. ए. दीप

सम्बंधित खबरें