यहाँ के सामाजिक, शैक्षिक, एवं राजनीतिक क्षेत्र के आदि पुरुष रहे हैं- बाबू रासबिहारी लाल मंडल जिन्हें लोग हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, बंगला, नेपाली आदि भाषाओं के अच्छे व गहरे जानकार मानते रहे हैं | वहीं आजाद भारत के प्रथम विधि मंत्री रह चुके शिवनंदन प्रसाद मंडल हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत के तथा प्रथम एम.एल.सी. मो.कुदरतुल्लाह काजमी इस धरती के हिन्दी, उर्दू एवं मैथिली के विद्वान माने जाते रहे | तभी तो मो.काजमी साहब 12 वर्षों तक बिहार राज्य हिन्दी प्रगति समिति के सक्रिय सदस्य रहे तथा वर्षों रहे थे- बिहार मैथिली महासंघ के उपाध्यक्ष भी |
समाजवादी चिन्तक एवं हिन्दी-अंग्रेजी के मर्मज्ञ भूपेन्द्र नारायण मंडल की विद्वता तो भारतीय संसद में अंग्रेजी के सम्बन्ध में हो रही चर्चा के दरमियान दिए गये वक्तव्य से आंकी जा सकती है- अध्यक्ष महोदय ! मैं हिन्दी के लिए पागल नहीं हूँ, परन्तु भारत में ‘अंग्रेजी’ को बनाये रखने की कोशिश भारतीय जनतंत्र के साथ विश्वासघात है |
उसी हिन्दी को प्रतिस्थापित करने के लिए ‘हिन्दी शब्द स्पर्धा’ का आयोजन क्यों किया जा रहा है- यह भी जानिये | गत वर्ष ‘स्पेलिंग बी.एसोसिएशन’ मधेपुरा द्वारा अंग्रेजी में चैंपियनशिप के पारितोषिक वितरण समारोह में आये एस.पी. आशीष कुमार ने संरक्षक डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी व अध्यक्ष डॉ.विश्वनाथ विवेका से हिन्दी में इसे आयोजित करने हेतु जिज्ञासा व्यक्त की थी | फलस्वरूप संरक्षक की सहमति से सचिव ने 20 दिसम्बर को एक दर्जन स्कूल के वर्ग 1 से 10 तक के लगभग 450 छात्र-छात्राओं की ‘हिन्दी शब्द प्रतिस्पर्धा परीक्षा’ पार्वती कॉलेज में आयोजित की जिसकी फाइनल परीक्षा 27 दिसम्बर को इसी कॉलेज में होगी |
इस ‘हिन्दी शब्द प्रतिस्पर्धा’ चैंपियनशिप में शहर के शिखर के स्कूल- हाली क्रास, किरण पब्लिक, जितेन्द्र पब्लिक, साउथ पॉइंट, डी.एस.एकेडेमी सहित अन्य विद्यालयों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इसे संपन्न कराने में संरक्षक डॉ.मधेपुरी, सचिव सावंत रवि सहित सोनीराज, मो.शंहशाह, अमित, रजाउल, रवि कुमार, मनीष, राहुल, ऋतुराज, दीपक, मो.कैशर, मो.आतिफ आदि सक्रिय देखे गये |