Madhepura होकर गुजरनेवाली एन.एच.-107 (महेशखूंट-पूर्णिया) के 16वें कि.मी. पर अवस्थित ‘बी.पी.मंडल सेतु’ पर 2010 के अगस्त-सितम्बर माह से ही तीन-चार पाये के नीचे की मिट्टी खिसक जाने के कारण वाहनों का आवागमन बन्द कर दिया गया और आज तक परिचालन बन्द ही है- जिसके कारण कोसी अंचल के मधेपुरा-सहरसा-सुपौल वासियों को जितने प्रकार की परेशानियाँ उठानी पड़ीं हैं उससे कहीं अधिक तो निकट के ‘बेलदौर प्रखंड का विकास’ अवरुद्ध हुआ है | इसी बी.पी.मंडल सेतु को अधिकांश लोग अब भी डुमरी पुल ही कहते हैं |
ज्ञातव्य हो कि ठीक एक साल के बाद ही 10 जून 2011 को 17 करोड़ की लागत से बी.पी.मंडल सेतु के बगल में एक स्टील ब्रिज का निर्माण राज्य सरकार द्वारा करके उस पर परिचालन आरम्भ कर दिया जाता है | परन्तु, बी.पी.मंडल सेतु की तरह ही स्टील ब्रिज के पाये के नीचे की मिट्टी खिसक जाती है और 8 जुलाई 2011 से इस ब्रिज पर भी परिचालन बन्द कर दिया जाता है | कोसी अंचल के लोगों का दुर्भाग्य है कि 17 करोड़ के इस ब्रिज को कोसी 27 दिनों में ही बहा ले जाती है | कोसी के तीनों जिले के लोगों की समस्याएँ जस की तस मुँह बाये खड़ी की खड़ी रह जाती हैं |
फिलहाल एक किलोमीटर लम्बा बी.पी.मंडल सेतु का रुका हुआ जीर्णोद्धार कार्य 50 करोड़ की राशि से केबुल स्टे ब्रिज की तर्ज पर शुरू हो चुका है जिसके जीर्णोद्धार का कार्य एस.पी.सिंगला कम्पनी को दिया गया है |
कम्पनी के प्रोजेक्ट मैनेजर के.के.रंजन ने Madhepura Abtak को बताया कि दोनों किनारों पर 75-75 मीटर की दूरी पर एक-एक पाये का अतिरिक्त निर्माण होगा जिसके लिए रास्ते बनाये जाने का कार्यारम्भ भी हो गया है | उन्होंने यह भी कहा कि 290 मीटर के बीच के आठ पायों को तोड़ा जा चुका है और इस बार नदी के मध्य 140 मीटर में जल-प्रवाह को पूर्ण रूपेण मुक्त रखा जायेगा और यह भी कि इस कार्य को संपन्न होने में दो वर्ष लगेगा |