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कौशिकी में तुलसी जयंती मनाई गई

कौशिकी क्षेत्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन रविवार को तुलसी दास की जयंती अपराहन 2:00 बजे से अंबिका सभागार में पूर्व प्रति कुलपति डॉ.केके मंडल की अध्यक्षता में मनाई गई।

सर्वप्रथम गोस्वामी तुलसीदास के तैल चित्र पर अध्यक्ष डॉ.केके मंडल, सचिव डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, मुख्य अतिथि प्रोफेसर शचीन्द्र व डॉ.अरुण कुमार एवं विदुषी उर्वशी कुमारी और उपस्थित साहित्यानुरागियों द्वारा पुष्पांजलि की गई। कार्यक्रम का  शुभारंभ संगीत के मर्मज्ञ उमेश कुमार, संगीत शिक्षक, टीपी कॉलेजियेट मधेपुरा, द्वारा भजन “तुम काहे को जग में आया रे” से किया गया।

रामचरितमानस में सामाजिक सद्भाव विषय पर संवाद की शुरुआत मुख्य वक्ता प्रो.मणि भूषण वर्मा द्वारा विस्तार से विभिन्न उदाहरणों द्वारा समझाते हुए की गई। सामाजिक सद्भाव की बारीकियों को प्रोफेसर वर्मा द्वारा प्रदर्शित करते हुए खूब तालियां बटोरी गई। उन्होंने कहा कि पारिवारिक समरसता का अद्भुत उदाहरण है तुलसी का रामचरितमानस।

सचिव डॉ.मधेपुरी ने कहा कि विस्तार से रामचरितमानस में विज्ञान भरा-पड़ा है। उन्होंने दर्पण की परिभाषा तुलसी की पंक्तियों “श्री गुरु चरण सरोज राज……” द्वारा समझाया। अवकाश प्राप्त निदेशक जगनारायण यादव ने आइंस्टीन की के सापेक्षवाद को संदर्भित करते हुए रामचरितमानस की विस्तृत चर्चा की।

इस अवसर पर स्थानीय +2 विद्यालयों के सर्वश्रेष्ठ छात्र-छात्राओं को भाषण प्रतियोगिता विषय- “रामचरितमानस की प्रासंगिकता” में चयनित होने पर पुरस्कृत किया गया। रासबिहारी उच्च विद्यालय के प्रियांशु कुमार, टीपी कॉलेजिएट की छात्रा सृष्टि कुमारी, केशव कन्या बालिका उच्च विद्यालय की छात्रा रश्मि कुमारी और एसएनपीएम के छात्र अंशु कुमार( प्रथम) को अंगवस्त्रम, मोमेंटो, पाग व पुष्पगुच्छ देकर अध्यक्ष डॉ. केके मंडल, सचिव डॉ,मधेपुरी,  मुख्य अतिथि प्रो.शचीन्द्र एवं विदुषी उर्वशी कुमारी द्वारा सम्मानित किया गया।

अध्यक्षीय संबोधन में डॉ.केके मंडल ने विस्तार से कहा कि रामचरितमानस में विज्ञान से बढ़कर राजनीति के सिद्धांतों की झलक मिलती है। सामाजिक समरसता पर तो मानस को महारत प्राप्त है।

मौके पर मुख्य अतिथि प्रो.शचीन्द्र, डॉ.अरुण कुमार, पूर्व पार्षद ध्यानी यादव, हिंदी के शोधार्थी सुनील कुमार एवं बीएनएमयू में हिंदी के छात्र शंकर सुमन, जिला प्रचारक दिवाकर यादव, प्रमोद यादव, मनीष कुमार आदि भी अपने विचार व्यक्त किए। अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्यामल कुमार सुमित्र ने किया।

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