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स्थानीय पांडुलिपियों को संरक्षित करने की जरूरत- डॉ.मधेपुरी

संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा क्रियाशील राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन द्वारा प्रायोजित एवं भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के अंतर्गत क्रियाशील केंद्रीय पुस्तकालय द्वारा आयोजित 30 दिवसीय उच्च स्तरीय कार्यशाला में विशिष्ट वक्ता के रूप में समाजसेवी-साहित्यकार एवं विश्व विद्यालय में परीक्षा नियंत्रक, कुलानुशासन व कुलसचिव आदि पदों पर कार्य कर चुके भौतिकी के प्रोफेसर डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने समापन के एक दिन पूर्व कहा कि स्थानीय महापुरुषों की पांडुलिपियों को संग्रहित एवं सुरक्षित करने की जरूरत है।

 

डॉ.मधेपुरी ने कहा कि समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता सेनानी रासबिहारी लाल मंडल, आधुनिक बिहार के निर्माता शिवनंदन प्रसाद मंडल, समाजवादी चिंतक भूपेन्द्र नारायण मंडल एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा बीपी मंडल आदि हमारे जो भी महापुरुष रहे हैं उनकी पांडुलिपियाँ हमारी विरासत का हिस्सा है। हमें इस विरासत को संरक्षित एवं संवर्धित करने की जरूरत है।

भौतिकी के लोकप्रिय शिक्षक रहे प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने वर्कशॉप में उपस्थित विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों से कहा कि संविधान आधुनिक भारत की सबसे महत्वपूर्ण पांडुलिपि है जिसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को हाथ से लिखने में 6 महीने के समय के साथ 254 बोतल स्याही एवं 303 नीब-होल्डर का उपयोग करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि 299 संविधान सभा सदस्यों में चतरा के कमलेश्वरी प्रसाद यादव भी थे। भारत के संविधान को तैयार होने में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे थे। गांधीयन मिसाइल मैन डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा तार पत्रों पर अंकित चिकित्सीय परामर्शों के कंप्यूटरीकृृत करने की चर्चाा के साथ-साथ इतिहासकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ के अंग लिपि एवं कैथी लिपि की भी भरपूर चर्चा उन्होंने की।

अंत में सीनेटर एवं बीएन मुस्टा के महासचिव नरेश कुमार, कार्यशाला के संयोजक प्रो.(डॉ.)अशोक कुमार, पीआरओ सह आयोजन सचिव डॉ.सुधांशु शेखर, प्रखर उद्घोषक पृथ्वीराज यदुवंशी ने समस्त विद्यार्थियों, शोधार्थियों की मौजूदगी में डॉ.मधेपुरी को बुके, अंगवस्त्रम व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया व कोटि-कोटि धन्यवाद ज्ञापित किया।

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