वट सावित्री पूजा से ही स्पष्ट होता है कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए बरगद की पूजा की थी। तब से ही सुहागन महिलाएं वट सावित्री पूजन के दिन बरगद की पूजा करती आ रही हैं। यह व्रत सुहागन महिलाओं के सुहाग की रक्षा कर उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करता है।
बता दें सुहागन महिलाएं बरगद के वृक्ष के 5 फेरे लगाकर सर्वप्रथम उसमें धागे लपेटती है। मौसमी फलों के अतिरिक्त अक्षत, हल्दी, चंदन, रोली, चूड़ी, बिंदी और मेहंदी पहनाकर पति की लंबी उम्र की कामना करती है।
वैज्ञानिकों की मान्यता है कि पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में बरगद, पीपल, तुलसी आदि पेड़-पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यही कारण है कि ऋषि-मुनियों द्वारा इन पेड़ों के पूजने की प्रथा शुरू की गई, क्योंकि ये सभी अहर्निश ऑक्सीजन देकर मानव जीवन की रक्षा में लगे रहते हैं। ये पेड़ औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण हैं।