मधेपुरा से विधायक, शिक्षा मंत्री एवं सांसद बनने वाले टीपी कॉलेज के प्राचार्य डॉ.महावीर प्रसाद यादव का जन्म थरबिट्टा गांव में 96 वर्ष पूर्व 2 जनवरी 1927 को हुआ था। वे एक कुशल प्रशासक के साथ-साथ एक बेहतर शिक्षक भी थे। उन्होंने मधेपुरा सहित कोसी व बिहार के शैक्षणिक विकास में महती भूमिका निभाई थी।
ये बातें बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व विकास पदाधिकारी, कुलानुशासक व कुलसचिव आदि पदों पर रह चुके समाजसेवी-साहित्यकार प्रो.(डॉ.)भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने उनकी 96वीं जयंती पर विश्वविद्यालय स्थित उनकी प्रतिमा पर सर्वप्रथम माल्यार्पण करने के बाद कही।
डॉ.मधेपुरी ने कहा कि माताश्री देवी दाय ने 2 जनवरी 1927 को बालक महावीर को जन्म दिया और उंगली पकड़कर चलना सिखाया। पिताश्री धरमलाल ने उन्हें सामाजिक कुरीतियों से लड़ना सिखाया। इसलिए तो वे भोज, भगैत और भंडारा के खिलाफ में खड़े दिखे तथा घर-घर में शिक्षा का दीप जलाने की सीख देते रहे। डॉ मधेपुरी ने पूर्व प्राचार्य करुणा कुमार झा को संदर्भित करते हुए कहा कि रतन चंद यदि टीपी कॉलेज की आत्मा थे तो महावीर बाबू विश्वकर्मा थे।
अंत में डॉ.मधेपुरी ने कहा कि महावीर बाबू की कार्य संस्कृति ने ही उन्हें इतनी ऊंचाई दी कि वे दो-दो विश्वविद्यालयों के प्रति कुलपति बने और बाद में बीएन मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति बनकर कार्यरत रहते हुए अंतिम सांस ली। वे मुझसे कहा करते-
“मैं यहां राई बन कर आया था, मधेपुरा ने मुझे पहाड़ बना दिया। मैं जब तक जीवित रहूंगा मधेपुरा के ऋण से उऋण होने के लिए काम करता रहूंगा।”
इस कार्यक्रम में उनके सैकड़ों शिष्यों ने कड़ाके की ठंड में भी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे जिनमें कुलानुशासन डॉ.विश्वनाथ विवेका, परीक्षा नियंत्रक डॉ.आर.पी. राजेश, विकास पदाधिकारी डॉ,ललन कुमार अद्री, डॉ.गजेंद्र प्रसाद यादव, इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज डॉ.उदय कृष्ण, प्राचार्य डॉ.पीएन पीयूष, समन्वयक डॉ.अभय कुमार सरीखे विश्वविद्यालय पदाधिकारीगण व प्राचार्य सहित एनके निराला, शंभू नारायण यादव आदि के अतिरिक्त उनके पुत्र डीएसपी मनोज कुमार, उमेश कुमार थे। सीनेटर प्रो.(डॉ.)नरेश कुमार ने मंच संचालन किया एवं डॉ.विश्वनाथ विवेका ने धन्यवाद ज्ञापन किया।