प्रख्यात उपन्यासकार मन्नू भंडारी के निधन का समाचार सुनते ही संपूर्ण साहित्य जगत मर्माहत हो गया। चारों ओर शोक की लहर दौड़ गई।
बता दें कि मध्य प्रदेश में जन्मी लेखिका मन्नू भंडारी ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई थी। अपने कालजई रचनाओं “आपका बंटी”, “महाभोज” आदि के लिए मशहूर मन्नू भंडारी का सोमवार को गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया।
जानिए कि मन्नू भंडारी को हिन्दी में उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक उपलब्धियों के लिए “दिल्ली शिखर सम्मान” एवं केके बिरला फाउंडेशन के “व्यास सम्मान” सहित कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके प्रसिद्ध उपन्यास “यही सच है” को 1974 में ‘रजनीगंधा’ नाम से फिल्माया गया था। यह फिल्म एक साल बाद कई फिल्म फेयर पुरस्कार भी जीते।
मौके पर समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण मधेपुरी ने कहा कि साहित्य को समृद्ध करने वाली मन्नू भंडारी द्वारा महिलाओं के अलावा कई विषयों पर लेखन की जा चुकी है। 90 की उम्र तक बदलते सामाजिक यथार्थ की कहानीकार बनी रही मन्नू भंडारी…… ताजिंदगी हिन्दी की अग्रणी लेखिका बनी रही। तभी तो मन्नू जी का लिखा आज भी समस्त साहित्यानुरागियों की नसें चटका देता है। उनकी कहानी कभी पुरानी नहीं पड़ सकती…।