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डॉ.जगन्नाथ मिश्र की द्वितीय पुण्यतिथि पर बोले डॉ.मधेपुरी

सुपौल जिले के बलुआ गांव से लेकर पटना के बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान में केंद्रीय मंत्री व कई बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके राजनीतिज्ञ लेखक एवं विचारक डॉ.जगन्नाथ मिश्र की द्वितीय पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। डॉ.मिश्र ताजिंदगी बिहार के विकास के लिए समर्पित रहे। लोग तो उन्हें शिक्षकों का मुख्यमंत्री भी कहा करते हैं।

मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी से उनका स्नेहिल संबंध लेखन के चलते ही निरंतर गहराता चला गया। डॉ.मधेपुरी ने कोरोना वायरस के  चलते अपने निवास ‘वृंदावन’ में डॉ.मिश्र को याद करते हुए उनकी द्वितीय पुण्यतिथि पर यही कहा- उन्हें याद है 9 मई, 1981 का वह दिन जिस दिन बी.पी.मंडल की अध्यक्षता में डॉ.मिश्र ने रासबिहारी उच्च विद्यालय के मैदान में 135 वर्ष पुराने अनुमंडल रहने के बाद मधेपुरा को जिला का दर्जा दिया था।

डॉ.मधेपुरी ने उपस्थित बच्चों से पुनः कहा कि जब  मैंने स्वलिखित पुस्तक ‘इतिहास पुरुष शिवनंदन प्रसाद मंडल’ की एक प्रति लेकर उनके पटना निवास पर उन्हें हस्तगत कराया तो वे किस कदर विह्वल हुए उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। वह पल मेरे जीवन का चिरस्मरणीय पल रहा है। कुछ महीनों बाद जब दर्जनों पुस्तकों के लेखक डॉ.मिश्र से फिर मिला तो डॉ.मिश्र मेरे हाथों व कंधों को थामकर कह रहे थे-

 “इस पुस्तक में शोध और संवेदना का दुर्लभ संगम है। इसे पढ़ते समय कभी मैं सुखद विस्मय से भर उठता तो कभी गौरव की अनुभूति आंखों से छलक पड़ती…। कभी-कभी तो यह सोचता कि यदि डॉ.मधेपुरी यह पुस्तक नहीं लिखी होती तो बिहार की आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास के इतने गौरवशाली अध्याय से कैसे अवगत हो पाती…।”

अंत में डॉ.मधेपुरी ने कहा कि उस महान संवेदनशील लेखक डॉ.मिश्र के जज्बातों को मैं उनकी द्वितीय पुण्यतिथि पर बार-बार सलाम करता हूं।

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