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वृंदावन में मनी मुंशी प्रेमचंद की 142वीं जयंती

मधेपुरा के समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने अपने निवास वृंदावन में हिन्दी एवं उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक मुंशी प्रेमचंद की 142वीं जयंती कथाकारों, कवियों व चन्द बच्चों के साथ मनाई।

डॉ.मधेपुरी ने इस अवसर पर मौजूद बच्चों को जानकारी देते हुए कहा कि 1880 के 31 जुलाई को (लमही) वाराणसी में पिता मुंशी अजायब राय और माता आनंदी देवी के घर जन्म लिया एक बालक जिसका नाम था धनपत राय, जो बाद में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के नाम से विश्व प्रसिद्ध हुए। उनके बचपन के 4 वर्ष गोरखपुर में बीते। बड़े होने पर उन्होंने महात्मा गांधी के प्रभावशाली भाषण को सुनकर 1921 में असहयोग आंदोलन का हिस्सा बनकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। आजादी मिलने से पूर्व ही 8 अक्टूबर 1936 को वाराणसी में उनका निधन हो गया।

अन्त में डॉ.मधेपुरी ने यही कहा कि तुलसीदास के बाद सबसे अधिक पढ़े जाने वाले साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद  हैं। कथा सम्राट प्रेमचंद की रचनाओं पर आधारित फिल्में- हीरा मोती, शतरंज के खिलाड़ी, मजदूर, गोदान आदि उनके यश को दूर-दूर तक संसार के कोने-कोने में फैलाती रहेगी।

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