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सूबे बिहार के निराश्रितों व बुजुर्गों के मुरझाए चेहरों पर मुस्कान लाने में देर न करें- डॉ.मधेपुरी

सूबे बिहार के 38 जिलों में से मात्र 5 जिले में ही वृद्धाश्रम चल रहा है। वे जिले हैं- पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और पूर्णिया। राजधानी पटना में चल रहे वृद्धाश्रम मंगल विहार कॉलोनी में अवस्थित है जहां कुल 25 वृद्धिजन रह रहे हैं, जिनमें 17 महिलाएं हैं। फिलहाल 75 लोग वेटिंग लिस्ट में लटक रहे हैं।

बता दें कि राजधानी के इस वृद्धाश्रम में एक वृद्ध पर 1500 रुपए महीने में आवंटित किए जाते हैं यानि एक शाम के भोजन के लिए ₹25 व्यय किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त कोई सुविधा नहीं बल्कि कार्यरत कर्मियों को तीन-चार वर्षों से मानदेय तक नहीं मिला है। कभी-कभी मामला लोकायुक्त तक पहुंच जाने के बाद राशि मिलती है। कभी-कभी बिजली बिल अधिक होने पर बिजली काट दी जाती है। सोचिए कि अंधेरे में बुजुर्गों को बुढ़ापा काटना कितना मुश्किल होता होगा। अब बिहार सरकार निराश्रितों, लाचारों एवं नि:संतान वृद्धजनों के लिए बुनियाद केंद्रों में 25 नए वृद्धाश्रम खोलने का मन बना रही है। राज्य के 90 बुनियाद केंद्रों को अपना आकर्षक भवन है। ये वृद्धाश्रम उन्हीं बुनियाद केंद्रों में संचालित होंगे। बुनियाद केंद्र के परिसर को ही आश्रम के रूप में तब्दील करने का निर्णय लिया गया है।

परंतु, लाचारों एवं निराश्रितों के प्रति अत्यंत संवेदनशील समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी का राज्य सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध है कि बिहार में जितने भी बड़े-बड़े संपन्न मंदिर हैं, जिनकी आमदनी लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है….. वहां के जिला प्रशासक व समिति से जनहित में एक आकर्षक वृद्धाश्रम चलाने की स्वीकृति/सहमति/आदेश/निदेश देकर सूबे के लाचारों एवं बुजुर्गों के मुरझाए चेहरों पर मुस्कान लाने में देर न करें।

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