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मनीषी भूपेन्द्र की 46वीं पुण्यतिथि घर-घर में मनी

समाजवादियों के प्रेरणास्रोत मनीषी भूपेन्द्र नारायण मंडल की 46वीं पुण्य तिथि 29 मई को कोरोना के चलते लाॅकडाउन के बावजूद भी दिनभर मधेपुरा के चौक-चौराहे से लेकर विद्यालय, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय द्वारा अत्यंत सादगी के साथ मनाई गई। जहां एक ओर भूपेन्द्र विचार मंच के अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों ने स्थानीय भूपेन्द्र चौक स्थित उनकी प्रतिमा पर प्रातः 7:30 बजे ही प्रो.सच्चिदानंद द्वारा प्रथम पुष्पांजलि के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की, वहीं दूसरी ओर साया की तरह निरंतर बैलगाड़ी से रेलगाड़ी तक तथा अछूतों-वंचितों के घर-आंगन से लेकर दिल्ली के संसद भवन तक साथ-साथ चलने वाले उनके प्रिय शिष्य समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी द्वारा इस लाॅकडाउन के चलते अपने ‘वृंदावन’ निवास पर ही अत्यंत विनीत भाव से पुष्पांजलि व श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस अवसर पर डाॅ.मधेपुरी ने यही कहा- “उस समाजवादी चिंतक तथा समाजवादियों के प्रेरणास्रोत बाबू भूपेन्द्र नारायण मंडल को मैंने एक खुली किताब की तरह जीवन जीते हुए देखा। उस किताब को पढ़ने से ऐसा ही लगा कि उनके व्यक्तित्व में सागर की गहराई और आकाश की ऊंचाई है। उन्हें बेकसों के संसार को सखा और सहयोगी बनकर सजाते हुए बहुत करीब से देखा मैंने। उनके अंदर मैंने बुद्ध, नानक और कबीर के व्यवहारों से लेकर मार्क्स, गांधी और सोशलिज्म के संस्कारों का सदा एहसास किया। उन्हें अपना सब कुछ गरीबों के बीच लुटाते हुए गरीबों का मसीहा बनते देखा मैंने। तभी तो उस मसीहा द्वारा अंतिम समय में गरीबों के लिए व्यक्त की गई इच्छा को पूरा करने में लगा हुआ हूँँ मैं और आगे भी लगा रहूंगा। यही उस महान आत्मा के लिए मेरी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

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