आज हमारी सोच को संकीर्ण बनाने में लगी है… पाखंड में डूबी धर्म की व्याख्याएं। इन्हीं मान्यता प्राप्त संस्थाओं से ऊपर उठकर मानवतावाद का सिद्धांत प्रतिपादित किया था- स्वामी रामदेव ने। इस सिद्धांत के मूल में जाति, धर्म, समुदाय से ऊपर उठकर संपूर्ण मानवता के कल्याण की परिकल्पना है- ये बातें स्वामी रामदेव के योग प्रशिक्षक आचार्य रफीक खान की हैं जो पांच वक्त के नमाजी होने के बावजूद योगानुरागी नर-नारियों को समझा रहे हैं- योग करो, निरोग रहो के साथ-साथ योग के समस्त मर्मों को।
बता दें कि आचार्य रफीक एक शिक्षक हैं जो उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले के हिमगिर प्रखंड के प्राथमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हैं। शेष समय में वे समाज को सुशिक्षित करने हेतु योगगुरु की भूमिका का निर्वहन भी करते हैं। शिक्षक रफीक खान ने बिना किसी ब्रेक के योग एवं वैदिक दर्शन के प्रचार-प्रसार में अपना समस्त जीवन ही समर्पित कर दिया है। बकौल रफीक मंजिल तक पहुंचने से पहले रुकना उन्हें नहीं है।
यह भी जानिए कि आचार्य रफीक एक मुस्लिम होने के बावजूद गायत्री मंत्र से लेकर तमाम वैदिक मंत्रों का नियमित रूप से निष्ठा के साथ जाप करते हैं। ईश्वर-अल्लाह…. राम-रहीम दोनों के प्रति वे समान रूप से श्रद्धावनत रहते हैं। वे स्वस्थ रहने के लिए योग को जरूरी मानते हैं। वे सर्वधर्म सद्भाव का संदेश भी देते रहते हैं। वे कहते हैं कि मेरे लिए गायत्री मंत्र और नमाज दोनों इबादत है। वे वेद पाठ भी करते हैं और पांच वक्त का नमाज भी पढ़ते हैं। इसलिए लोग उन्हें आचार्य रफीक खान के नाम से पुकारा करते हैं। यही है भारत की माटी की असली खुशबू…।