मधेपुरा सदर में 23 वर्ष की उम्र में आजादी की खातिर अपना प्राण न्योछावर करने वाले शहीद चुल्हाय 15 जनवरी 1920 को मनहरा गाँव के एक किसान फूलचन्द के घर जन्म लिया था और 30 जनवरी 1943 को शहीद हो गया। सूबे के पूर्व आपदा प्रबंधन कैबिनेट मंत्री एवं वर्तमान मधेपुरा विधायक प्रो.चंद्रशेखर ने समारोह का उद्घाटन किया और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शहीद चुल्हाय हमारा गौरव है और हमें सदा गौरवान्वित करता रहेगा। सबों ने शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि समाजसेवी-साहित्यकार डॉ.भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी ने कहा कि हम जब तक अपने अतीत को याद नहीं करेंगे तब तक हम ना तो अपने भविष्य को गढ़ सकते हैं और ना वर्तमान में एक कदम आगे बढ़ सकते हैं। डॉ.भूपेन्द्र मधेपुरी ने कहा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव सरीखे शहीद चुल्हाय के ऋण से मुक्त होने के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय में शहीद चुल्हाय उद्यान, डाक बंगला रोड का नाम शहीद चुल्हाय मार्ग तथा शहीद चुल्हाय जैसों को याद करने के लिए तत्कालीन डीएम मो. सोहैल से अनुरोध करके शहीद पार्क बनवाया। डॉ.मधेपुरी ने कहा कि अपने अतीत एवं अपनी विरासत को याद करने के लिए उन्होंने रासबिहारी लाल मंडल, शिवनंदन प्रसाद मंडल एवं भूपेद्र नारायण मंडल पर सर्वप्रथम कलम उठाई और आने वाली पीढ़ी के लिए उनकी जीवनी लिख डाली।
विशिष्ट अतिथि सीनेटर एवं बीएन मुस्टा के महासचिव प्रो.(डॉ.)नरेश कुमार ने कहा कि यहाँ शिक्षा जगत के विश्वकर्मा कीर्ति नारायण मंडल, प्रखर स्वतंत्रता सेनानी हुए कमलेश्वरी प्रसाद मंडल लेकिन कोसी अंचल को सर्वाधिक ऊँचाई दिया शहीद चुल्हाय ने। समारोह को संबोधित करते हुए मुखिया राजकिशोर यादव, शिक्षक राजेंद्र प्रसाद, डॉ.नरेश कुमार, प्रो.सुरेश कुमार, जगदीश प्रसाद, रामानंद कुमार, पूर्व मुखिया अरविंद कुमार आदि ने यही कहा कि आज हर आदमी की जुबान पर शहीद चुल्हाय का नाम है और सदा रहेगा।
समारोह की अध्यक्षता किया प्रो.जयकृष्ण यादव तथा मंच संचालन किया डॉ.नरेश कुमार ने। आरंभ में स्वागत गान प्रस्तुत किया ख्याति प्राप्त संगीतज्ञ संजीव कुमार की टीम ने। वे देर शाम तक शहीदों के सम्मान में एक से बढ़कर एक गीत गाते रहे और तालियां बटोरते रहे।