धरती को रहने योग्य बनाने में भारत की 8 वर्षीया लिसिप्रिया कंगुजम और स्वीडन की 16 वर्षीया ग्रेटा अनवर्ग सरीखे पर्यावरण कार्यकर्ता द्वय केे हौसला को पंख लगाने हेतु बिहार के विकासप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी और बाल विवाह-दहेज मुक्त विवाह के तर्ज पर जल-जीवन-हरियाली यात्रा को तीव्र गति प्रदान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। मुख्यमंत्री ने कई चरणों में बिहार के विभिन्न जिलों में जल-जीवन-हरियाली यात्रा के तहत आयोजित सम्मेलन में जा-जाकर यही संदेश देते रहे हैं-
“धरती को रहने योग्य बनाने में गांधीयन मिसाइल मैन डाॅ.एपीजे अब्दुल कलाम की तरह सब लोगों की पूरी प्रतिबद्धता होनी चाहिए। जल रहेगा तो हरियाली रहेगी….. और तभी जीवन बचा रहेगा और ऐसा होगा तभी सभी समुदाय के लोग धरती पर सामाजिक सरोकार निभाते हुए अमन चैैैन के साथ रह सकेंगे। अतः 19 जनवरी को बनने वाली जल-जीवन-हरियाली मानव श्रृंखला में बड़ी संख्या में शामिल होकर कीर्तिमान बनाएं।”
यह भी बता दें कि जब जल-जीवन-हरियाली यात्रा के दूसरे चरण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मिथिलांचल का दौरा किया तो उन्होंने सम्मेलनों में यही कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े देशों में जलवायु परिवर्तन पर केवल चर्चाएं होती रही हैं परंतु बिहार सरकार ने तो इस पर काम शुरू कर दिया है….. यदि सबों के सहयोग से यह योजना सफल हो गई तो बिहार की चर्चा हमेशा पूरे विश्व में होती रहेगी।
जगह-जगह पर आयोजित सम्मेलनों में सीएम ने कहा कि सभी सरकारी कार्यालयों के भवनों में अब सौर ऊर्जा से ही काम होंगे….. बिहार अब अक्षय ऊर्जा के विकल्प पर काम कर रहा है। उन्होंने कई सरकारी भवनों पर रूप गार्डनिंग एवं रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का भी उद्घाटन किया और कहा कि यह तकनीक अब सभी मकानों में इस्तेमाल होगी ताकि जलस्तर बना रहे। घट रही बारिश के दुष्प्रभाव से पृथ्वी को बचाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा।
चलते-चलते यह भी जानिए कि पहले बिहार में 15 जून से ही मानसून की शुरूआत हो जाती थी तथा औसतन 1200 से 1500 मिलीमीटर तक सालाना वर्षा होती थी, विगत 30 वर्षों से वर्षा का सालाना रिकॉर्ड यही बताता है कि यह औसत 1500 मिलीमीटर से घटकर 1027 मिलीमीटर तक पर पहुंच गई है। विगत 13 वर्षों में औसत वर्षा घटकर 901 मिलीमीटर पर पहुंच गई है। अस्तु सब कोई मिलकर जब बूंद-बूंद जल को बचाएंगे तब हरियाली बचेगी… और तभी जीवन बच पाएगा।