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वह तिरंगा आज का तिरंगा नहीं . . . .

Dr. Madhepuri flag hoisting on independence day 15th August at Bhupendra Chowk Madhepura

हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी डॉ. मधेपुरी ने भूपेन्द्र चौक पर 69वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया | बाद में उपस्थित स्कूली बच्चे-बच्चियों, शिक्षकों – अभिभावकों को अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सभी धर्मों व सम्प्रदायों के लोगों की कुर्बानियों की बदौलत ही हमारे पूर्वजों ने आज़ादी हासिल की थी | आज के दिन हम हमेशा उन सेनानियों व शहीदों को स्मरण करते हैं, नमन करते हैं एवं उनका वंदन करते हैं |

डॉ.मधेपुरी ने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी एवं भारतरत्न डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम सरीखे सभी ऋषियों-मनीषियों ने भारत को इस बुलंदी तक पहुँचाने में अपना सारा जीवन लगा दिया, लेकिन उन पूर्वजों की गौरव समाधि पर हम एक नहीं सौ बार रो गये |

डॉ.मधेपुरी ने कहा कि हम आज़ादी का जश्न मनाने के लिए प्रतिवर्ष 15 अगस्त को राष्ट्रीय तिरंगा फहराते हैं – जिसे 7 अगस्त, 1906 को पिंगली वैंकय्या द्वारा कलकत्ता के ग्रीन पार्क में पहली बार फहराया गया था | और दूसरी बार 1907 में पश्चिमी जर्मनी में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांफ्रेन्स में मेडम भीखाजी कामा नामक पारसी महिला द्वारा | कालान्तर में वही तिरंगा चक्र के साथ 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार कर लिया गया |

आगे उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास गवाह है कि 13 अगस्त, 1942 के दिन मधेपुरा के ब्रिटिश ट्रेजरी बिल्डिंग पर तिरंगा फहराने हेतु आन्दोलनकारियों के विशाल जुलूस का नेतृत्व करते हुए बाबू भूपेन्द्र नारायण मंडल निर्भीक होकर शेर की तरह आगे बढ़ते रहे थे, लेकिन वह तिरंगा आज का तिरंगा नहीं, वह तिरंगा तो भारतीय पौरुष का प्रतीक था | उस तिरंगे में तत्कालीन 40 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाएं सन्निहित थीं | तब न कोई दल था और न कोई पार्टी | तब न कोई मजहब था और न कोई जाति | उस तिरंगे में हमारी सादगी, हमारा पौरुष और हमारा भ्रातृत्व अंकित था | तब न हम हिन्दू थे और न मुसलमान | हम सभी थे भारत माता की संतान – बिल्कुल वैसे सम्पूर्ण भारतीय जैसे डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम |

अंत में उपस्थित समाज सेवी शौकत अली, मो. युनूस, अनवर साहब, डॉ. आलोक कुमार, आनंद, सतीश कुमार सहित सभी शिक्षकों-अभिभावकों से डॉ. मधेपुरी ने कहा कि आप हमेशा अपने बच्चों को बड़े-बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करते रहें और कलाम वाणी को बार-बार दोहराते रहें – यही कि–छोटा लक्ष्य एक अपराध है ! और  मेरे बच्चो ! तेरी उड़ान में कभी विराम न हो !!

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